आज शनिवार, 9 जनवरी को पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे सफला एकादशी कहते हैं। स्कंद पुराण के एकादशी महात्म्य अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। ये व्रत भगवान विष्णु के लिए व्रत किया जाता है। शनिवार को ये तिथि होने से इस दिन शनिदेव की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से भक्त को भगवान की कृपा से सभी कामों में सफलता मिलती है। इस दिन विष्णुजी और महालक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और देवी-देवता को स्नान कराएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें। देवी-देवता को स्नान कराने के बाद पीले रेशमी वस्त्र अर्पित करें। तिलक लगाएं। फूल चढ़ाएं। मौसमी फल अर्पित करें। भोग लगाएं। ध्यान रखें विष्णुजी को भोग लगाते समय तुलसी के पत्ते जरूर रखें।
धूप-दीप जलाएं और आरती करें। पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए भगवान से क्षमा मांगें। पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
जो लोग इस तिथि पर व्रत करते हैं, उन्हें अन्न का त्याग करना चाहिए। दूध और मौसमी फलों का सेवन किया जा सकता है। पूरे दिन व्रत करें। शाम को पूजा-पाठ करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठें। स्नान आदि कामों के बाद पूजा करें और दान-पुण्य करने के बाद अन्न ग्रहण करें। ये व्रत की सरल विधि है। इस तरह व्रत पूरा होता है।
शनिदेव को चढ़ाएं तेल
एकादशी और शनिवार के योग में शनिदेव को काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाएं। शनि के मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। शनि के दोषों से बचने के लिए कभी भी किसी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति का अपमान न करें। माता-पिता का सम्मान करें। घर में शांति बनाए रखें।
शिवलिंग पर चढ़ाएं जल
इस दिन विष्णुजी और शनिदेव के साथ ही शिव पूजा भी जरूर करें। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। भगवान को बिल्व पत्र और फूल चढ़ाएं। चंदन का तिलक लगाएं और दीपक जलाकर आरती करें।
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